चंद्रयान मिशन 5 -केंद्र सरकार ने चंद्रयान पांच मिशन को मंजूरी दे दी है इस मिशन में 250 किलोग्राम का रोवर लेकर जाने की तैयारी है वहीं चंद्रयान-4 को वर्ष 2027 में प्रक्षेपित किया जाएगा इसरो प्रमुख वीर नारायण ने एक कार्यक्रम में जानकारी दी उन्होंने बताया कि चंद्रयान-3 जहां 25 किलो ग्राम का रोवर प्रज्ञान लेकर चांद की सतह पर उतरा था
वहीं चंद्रयान पांच कारोबार 250 किलोग्राम का होगा उन्होंने अभी तक के चंद्रयान मिशन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2019 में प्रक्षेपित चंद्रयान-2 मिशन 98 फ़ीसदी तक सफल रहा और उसका कैमरा आज तक चांद की सतह से तस्वीर भेज रहा है वहीं चंद्रयान तीन मिशन भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर को उतारने में सफल रहा उसके बाद अब चंद्रयान-कर मिशन को वर्ष 2027 में प्रक्षेपित करने की तैयारी है जो चंद की सतह से विभिन्न नमूने एकत्र करेगा|
खास होने वाला है चंद्रयान पांच मिशन इसरो पर मुख्य नारायण ने बताया कि चंद्रयान पांच एक महत्वाकांक्षी मिशन है इसकी खास बात है इसका अधिक क्षमता का कैलेंडर जो भविष्य में चांद पर इंसान को उतारने में भी सक्षम होगा इसका रोवर भी अत्यधिक शक्तिशाली होगा जिसका वजन 250 किलोग्राम रहेगा जो चंद्रयान टीवी के मंत्र 25 किलोग्राम के रोवर पर ज्ञान से कहीं ज्यादा है
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वर्ष 2035 तक होगा अपना अंतरिक्ष स्टेशन नारायण ने दावा किया कि वर्ष 2035 तक देश का अपना भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन होगा सरकार भारतीयों को स्वदेशी रॉकेट से चांद तक भेजना और सुरक्षित वापस लाने की योजना पर भी काम कर रही है|
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चंद्रयान मिशन 05 से पहले जो मिशन भारत ने लांच किया |
चंद्रयान-1 (Chandrayaan-1) – 2008
परिचय:
चंद्रयान-1 भारत का पहला चंद्र मिशन था जिसे 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C11 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया गया था। यह मिशन चंद्रमा की सतह का विस्तृत अध्ययन करने के लिए था।
मुख्य उद्देश्य:
- चंद्रमा की सतह का विस्तृत नक्शा बनाना।
- चंद्रमा पर खनिजों और रासायनिक तत्वों की पहचान करना।
- चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ (पानी) की खोज करना।
- चंद्रमा की ऊपरी सतह की संरचना का अध्ययन करना।
मुख्य उपलब्धियां:
- मून इम्पैक्ट प्रोब (MIP) ने चंद्रमा की सतह पर उतरकर पहली बार पानी (H₂O) के अणुओं की मौजूदगी का प्रमाण दिया।
- इसने चंद्रमा के सतह की 3D मैपिंग की।
- लगभग 10 महीने तक चंद्रमा का अध्ययन करने के बाद मिशन से संपर्क टूट गया।
समाप्ति:
29 अगस्त 2009 को ISRO ने इस मिशन को आधिकारिक रूप से समाप्त घोषित कर दिया। हालांकि, यह मिशन भारत की पहली सफल चंद्र यात्रा थी और इसने आगे के मिशनों के लिए रास्ता खोला।
चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) – 2019
परिचय:
चंद्रयान-2 भारत का दूसरा चंद्र मिशन था, जिसे 22 जुलाई 2019 को GSLV Mk III रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग कराना और वहां के वातावरण का अध्ययन करना था।
मुख्य उद्देश्य:
- चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरकर सतह का अध्ययन करना।
- चंद्रमा की मिट्टी और खनिज संरचना की जांच करना।
- चंद्रमा के भूकंपीय गतिविधियों (Moonquakes) को रिकॉर्ड करना।
अवयव (Components):
- ऑर्बिटर (Orbiter): यह चंद्रमा की कक्षा में घूमते हुए सतह की मैपिंग करता रहा।
- विक्रम लैंडर (Vikram Lander): चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए बनाया गया था।
- प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover): यह चंद्रमा की सतह पर चलकर प्रयोग करने वाला वाहन था।
मुख्य उपलब्धियां:
- ऑर्बिटर सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हुआ और आज भी काम कर रहा है।
- इसने चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि की और महत्वपूर्ण डेटा भेजा।
- विक्रम लैंडर का आखिरी समय में संपर्क टूट गया, जिसके कारण यह सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया।
समाप्ति:
ऑर्बिटर आज भी काम कर रहा है और चंद्रमा से महत्वपूर्ण डेटा भेज रहा है। हालांकि, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का मिशन सफल नहीं हो सका।
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) – 2023
परिचय:
चंद्रयान-3 भारत का तीसरा चंद्र मिशन है, जिसे 14 जुलाई 2023 को GSLV Mk III (LVM-3) रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करना था।
मुख्य उद्देश्य:
- चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सुरक्षित और सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करना।
- चंद्रमा की सतह पर मौजूद खनिजों का अध्ययन करना।
- चंद्रमा के वातावरण और मिट्टी का विश्लेषण करना।
अवयव (Components):
- विक्रम लैंडर (Vikram Lander): चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए।
- प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover): सतह पर चलकर प्रयोग करने के लिए।
मुख्य उपलब्धियां:
- 23 अगस्त 2023 को भारत का विक्रम लैंडर सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा।
- भारत पहला देश बना जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की।
- प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की मिट्टी का विश्लेषण किया और महत्वपूर्ण डेटा भेजा।
- यह मिशन पूरी तरह से सफल रहा और इसने भारत को चंद्र अन्वेषण के शीर्ष देशों में शामिल कर दिया।
समाप्ति:
प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर ने 14 दिनों तक काम किया और महत्वपूर्ण डेटा भेजा। मिशन सफलतापूर्वक पूरा हुआ और इसने भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए रास्ता खोला।
निष्कर्ष
- चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी की खोज कर इतिहास रचा।
- चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अभी भी काम कर रहा है, लेकिन लैंडर मिशन असफल रहा।
- चंद्रयान-3 पूरी तरह सफल रहा और भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनने का गौरव प्राप्त किया।