Bihar Teacher Transfer News: शिक्षा विभाग का अजीबोगरीब कारनामा,स्कूल के सभी शिक्षकों का एक साथ कर दिया ट्रांसफर

Bihar Teacher Transfer News: जब पूरा स्कूल रह गया शिक्षक विहीन

बिहार के जमुई जिले के चकाई प्रखंड का नवीन प्राथमिक विद्यालय मोरियाडीह इन दिनों एक अजीबोगरीब और चिंताजनक स्थिति का सामना कर रहा है। इस विद्यालय में अब कोई प्रधानाध्यापक, सहायक शिक्षक और यहां तक कि चपरासी भी नहीं बचा। हाल ही में सभी शिक्षकों का एक साथ स्थानांतरण कर दिया गया, जिससे विद्यालय पूरी तरह से शिक्षक विहीन (Teacherless School) हो गया है।

 बच्चों का भविष्य अधर में

विद्यालय में लगभग 95 छात्र नामांकित हैं, लेकिन अब वहां पढ़ाने वाला कोई नहीं है। यह स्थिति न केवल शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि इन बच्चों के भविष्य को भी संकट में डालती है। प्रभारी प्रधानाध्यापिका वंदना कुमारी ने 26 जून को नए विद्यालय में योगदान देने की जानकारी पत्र के माध्यम से प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को दे दी थी, साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि अब विद्यालय में कोई शिक्षक नहीं बचा है।

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ग्रामीणों में आक्रोश, सरकार से सवाल

स्थानीय अभिभावक और ग्रामीण जैसे – गुरुचरण यादव, प्रदीप यादव, मथुरा दास, सीताराम दास आदि ने सरकार की इस बेतरतीब ट्रांसफर नीति पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि कम-से-कम एक शिक्षक को विद्यालय में बने रहना चाहिए था। कुछ लोगों ने तो तंज कसते हुए कहा कि यदि यही हाल रहा तो स्कूल को “स्मारक” घोषित कर देना चाहिए।

 प्रशासन हरकत में आया, हुई त्वरित प्रतिनियोजन

घटना की जानकारी मिलने पर जिला शिक्षा पदाधिकारी राजेश कुमार विद्यालय पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। तत्पश्चात उन्होंने दो शिक्षकों – सीताराम दास और शैलेश कुमार चौधरी का प्रतिनियोजन (Deputation) कर विद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों को पुनः चालू करवाया। यह एक अस्थायी समाधान माना जा रहा है, लेकिन सवाल यही है कि क्या यह व्यवस्था लंबे समय तक टिक पाएगी?

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 इंटरनेट मीडिया पर मज़ाक का पात्र बना विभाग

इस पूरी घटना पर इंटरनेट मीडिया पर जमकर व्यंग्य किया जा रहा है। एक यूजर ने लिखा – “अब बच्चा खुद पढ़ेगा, खुद सिखाएगा और खुद परीक्षा भी लेगा।” कुछ लोगों ने तो इसे ‘स्वावलंबी शिक्षा नीति’ की शुरुआत तक बता दिया।

 निष्कर्ष: कब सुधरेगी शिक्षा व्यवस्था?

चकाई प्रखंड की यह घटना यह साबित करती है कि शिक्षा विभाग अब भी नीतिगत और प्रशासनिक लापरवाहियों से ग्रसित है। बिना वैकल्पिक व्यवस्था के शिक्षकों का सामूहिक तबादला प्रशासनिक दृष्टिकोण से एक गंभीर चूक है। यह सिर्फ एक गांव या एक स्कूल की बात नहीं है, बल्कि यह पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था का आईना है।अब यह देखना होगा कि शिक्षा विभाग इस अस्थायी प्रतिनियोजन को स्थायी समाधान में कैसे बदलता है या यह केवल एक “लिपापोती” बनकर रह जाएगा।

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