Kartarpur Corridor Closes
भारत और पाकिस्तान के बीच एक शांति और भाईचारे का प्रतीक माना जाता है, एक बार फिर विवादों और तनाव की भेंट चढ़ गया है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने Kartarpur Corridor Closes बंद कर दिया है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन ने हाल ही में एक आदेश जारी कर करतारपुर कॉरिडोर को बंद करने की घोषणा की।
यह आदेश ‘तत्काल प्रभाव’ से लागू हुआ, जिससे बुधवार सुबह लगभग 150 श्रद्धालु जो डेरा बाबा नानक के इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट पर पहुंचे थे, उन्हें 90 मिनट तक इंतजार करवाने के बाद लौटा दिया गया। यह फैसला न सिर्फ कूटनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत ने पाकिस्तान के बिरुद्ध युद्ध के लिए एक और कदम बढ़ा दिया हैं|
करतारपुर कॉरिडोर भारत के पंजाब राज्य के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक से पाकिस्तान के नारोवाल जिले स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब तक एक 4.7 किलोमीटर लंबा गलियारा है। इसे 9 नवम्बर 2019 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त रूप से उद्घाटित किया था। यह गलियारा सिख समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र है, क्योंकि यही वह स्थान है जहाँ गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम दिन बिताए थे।
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इस फैसले से सिख समुदाय में नाराजगी और निराशा की लहर दौड़ गई है। दूसरी ओर पाकिस्तान ने अपने पक्ष से करतारपुर कॉरिडोर को खुला रखा है। पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (PSGPC) के अध्यक्ष रमेश सिंह अरोड़ा ने कहा, “यह हमारे सरकार का सचेत निर्णय है कि हम श्रद्धालुओं का स्वागत करते रहेंगे। यह कॉरिडोर गुरु नानक देव द्वारा प्रचारित शांति और भाईचारे का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि मंगलवार को लगभग 200 भारतीय श्रद्धालु पाकिस्तान पहुंचे थे, लेकिन बुधवार को यह संख्या शून्य हो गई। जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि भारत ने कॉरिडोर के माध्यम से श्रद्धालुओं को जाने से रोक दिया है।
करतारपुर कॉरिडोर बंद होने से हजारों श्रद्धालुओं को निराशा हुई है, खासकर वे जो गुरु अर्जुन देव जी के शहीदी दिवस (जून माह) के अवसर पर यात्रा की तैयारी कर रहे थे। यह कदम भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा सकता है। करतारपुर कॉरिडोर जैसे पहल शांति की दिशा में छोटे लेकिन महत्वपूर्ण प्रयास माने जाते हैं। दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय व्यापारियों को भी इसका असर झेलना पड़ेगा, जो श्रद्धालुओं पर निर्भर करते हैं।
करतारपुर कॉरिडोर सिख समुदाय की दशकों पुरानी मांग थी। विभाजन के बाद से यह स्थान पाकिस्तान में चला गया, और भारत के श्रद्धालु केवल दूरबीन से गुरुद्वारा दरबार साहिब के दर्शन कर पाते थे। कॉरिडोर खुलने के बाद उन्हें बिना वीज़ा, सुबह से शाम तक के लिए दर्शन की अनुमति मिल गई थी। कोविड-19 महामारी के दौरान कॉरिडोर को कुछ समय के लिए बंद किया गया था, लेकिन नवंबर 2021 में इसे फिर से खोला गया और 2024 में भारत और पाकिस्तान ने इस समझौते को अगले पांच वर्षों के लिए नवीनीकृत भी किया।